आपने आज तक किसी ऎसे गांव के बारे में नहीं सुना होगा जहां लड़कों को दुर्भाग्यशाली माना जाता है। जी हां, इस दुनिया में एक ऎसा गांव भी है जहां ऎसा माना जाता है। यह गांव कहीं और नहीं बल्कि भारत के मेघालय राज्य में स्थित मावलीनांग गांव है। इस गांव में आदिम जनजाति खासी लोग रहते हैं जिनकी आबादी लगभग 500 लोगों की है।
राज करती है लड़कियां
मावलीनांग गांव की संस्कृति ही ऎसी है कि पर्यटक यहां खींचे चले आते हैं। इस गांव में लड़कियां एक तरह से राज करती हैं, क्योंकि यहां पुरूषा प्रधानता का नाम तक नहीं। खासी दुनिया के दुर्लभ समाजों में से एक है, जहां सिर्फ महिलाओं की ही सत्ता चलती है। इस गांव में बच्चे अपने नाम के आगे मां का सरनेम लगाते हैं।
एशिया का सबसे साफ-सुथरा गांव
मावलीनांग गांव की एक और खास बात ये है कि यह काफी साफ-सुथरा है। इसे एशिया का सबसे साफ-सुथरा गांव, भारत का गौरव तथा ईश्वर का बगीचा जैसे नामों से पुकारा जाता है। यहां छोटी-बड़ी लड़कियां तालाबों और झरनों में खेलते हुए नजर आती है।
लड़कों को माना जाता है दुर्भाग्यशाली
आदिम जनजाति खासी लोगों के इस गांव में पुरूष प्रधान समाज हावी नहीं है तथा लड़कों दुर्भाग्यशाली माना जाता है। महिलाओं को किसी भी बात की कोई रोकटोक नहीं तथा परंपराओं की कोई बेडियां भी नहीं। इस गांव में लड़की कोई न कोई काम जरूर करती है तथा परिवार की आय में अपना योगदान देती है।
लड़की होती है संपदा की वारिस
मालीनांग गांव में बसी खास जनजाति की संस्कृति परिवार की सबसे छोटी लड़की को ही धन और संपदा की वारिस माना जाता है। खासी जनजाति की महिलाओं को अपनी पसंद के लड़के से शादी करने की पूरी आजादी होती है। यहां महिलाओं पर किसी भी बात की कोई बंदिश नहीं, कोई भी लड़की अपनी मर्जी से तलाक ले सकती है अथवा अकेले रह सकती है।